प्रतिनिधि: चंदन ठाकुर, ठाणे जिला.
वसई-विरार नगर निगम में बड़े पैमाने पर हुए अवैध निर्माण घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व आयुक्त अनिल कुमार पवार, निलंबित नगररचना उपसंचालक वाई.एस. रेड्डी, पूर्व नगरसेवक व बिल्डर सीताराम गुप्ता और अरुण गुप्ता को गिरफ्तार किया। सभी आरोपियों को पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 20 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।
ईडी ने वसई-विरार, मुंबई, पुणे और नासिक में 12 ठिकानों पर छापेमारी की। पवार के नासिक स्थित रिश्तेदार के घर से ₹1.33 करोड़ नकद और कई संपत्ति दस्तावेज बरामद हुए। छानबीन में यह भी सामने आया कि पवार के कार्यकाल में उनके परिवार, रिश्तेदार और बेनामी नामों से कई कंपनियां बनाई गईं, जिनके जरिए कथित रिश्वत की रकम को निवेश और लेन-देन में इस्तेमाल किया गया। ये कंपनियां मुख्य रूप से रिहायशी टावर पुनर्विकास और गोदाम निर्माण से जुड़ी थीं।
वाई.एस. रेड्डी के ठिकानों से ईडी को ₹8.60 करोड़ नकद, ₹23.25 करोड़ मूल्य के हीरे-जड़े गहने और सोना मिला। इसके अलावा कई अहम दस्तावेज भी जब्त किए गए।
जांच में सामने आया कि लगभग 60 एकड़ आरक्षित भूमि (जहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और कचरा डिपो होना था) पर 41 अवैध इमारतें खड़ी की गईं। आरोप है कि बिल्डरों और दलालों ने मिलीभगत कर फर्जी मंजूरी पत्र बनाए और आम नागरिकों को फ्लैट बेचकर करोड़ों की ठगी की। हाईकोर्ट ने 8 जुलाई 2024 को इन इमारतों को गिराने का आदेश दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। 20 फरवरी 2025 को नगर निगम ने कार्रवाई कर सभी इमारतों को ध्वस्त कर दिया।
ईडी का दावा है कि पवार और रेड्डी के लिए क्रमशः ₹20-25 प्रति वर्ग फुट और ₹10 प्रति वर्ग फुट रिश्वत तय की गई थी। इस पूरे रैकेट में तत्कालीन आयुक्त, नगररचना अधिकारी, इंजीनियर, आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट और स्थानीय बिचौलिए शामिल थे।
यह मामला मिरा-भाईंदर पुलिस आयुक्तालय में दर्ज विभिन्न आपराधिक मामलों के आधार पर ईडी के पास आया था और अब मनी लॉन्ड्रिंग के तहत इसकी गहन जांच चल रही है।

Author: starmazanews
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