मुंबई में ड्राइवर ने फर्जी इनकम टैक्स अधिकारी बनकर 40 से अधिक बेरोजगारों से की 2 करोड़ की ठगी ,नवी मुंबई से गिरफ्तार हुआ आरोपी, फर्जी पहचान पत्र और नियुक्ति पत्र के साथ पुलिस की हिरासत में
(रिपोर्टर: चंदन ठाकुर)
मुंबई के नालासोपारा में क्राइम ब्रांच यूनिट-3 ने एक ऐसे ठग को गिरफ्तार किया है, जो खुद को इनकम टैक्स विभाग का अधिकारी बताकर बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी का झांसा देता था। आरोपी ने 40 से अधिक युवाओं से 2 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है। पुलिस ने उसे नवी मुंबई के तलोजा इलाके से गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान रिंकू जीतू शर्मा (33 वर्ष) के रूप में हुई है, जो पेशे से ड्राइवर है।
कैसे दिया नौकरी का झांसा?
रिंकू शर्मा बेरोजगार युवाओं को आयकर विभाग में सहायक आयुक्त और सीबीआई विभाग के अधिकारी जैसे उच्च पदों पर नौकरी का झांसा देता था। उसने फर्जी पहचान पत्र, नियुक्ति पत्र और लेटरहेड तैयार कर लोगों को अपने जाल में फंसाया।
क्राइम ब्रांच ने आरोपी के पास से 28 फर्जी पहचान पत्र बरामद किए हैं, जिनमें आयकर विभाग, गृह विभाग और सीबीआई के उच्च अधिकारियों के नाम शामिल हैं। इसके अलावा फर्जी स्टांप, नियुक्ति पत्र और अन्य दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं।
शिकायत के बाद हुआ खुलासा
इस धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ, जब एक पीड़ित ने 12 दिसंबर 2024 को पेल्हार पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। शिकायतकर्ता ने बताया कि रिंकू शर्मा ने खुद को इनकम टैक्स कमिश्नर (आईआरएस अधिकारी) बताते हुए उसकी बेटी को नौकरी दिलाने का झांसा दिया। इसके लिए आरोपी ने 15 लाख रुपये लिए और फर्जी नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र सौंप दिए।
जब बेटी की नौकरी नहीं लगी, तब परिजनों को धोखाधड़ी का एहसास हुआ। इसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया और उसे हिरासत में ले लिया।
किन धाराओं में दर्ज हुआ मामला?
पुलिस ने आरोपी रिंकू जीतू शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया है, जिनमें शामिल हैं:
धारा 419 – प्रतिरूपण
धारा 420 – धोखाधड़ी
धारा 465 – जालसाजी
धारा 467 – महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाजी
धारा 468 – धोखाधड़ी के लिए जालसाजी
धारा 471 – जाली दस्तावेजों का उपयोग
धारा 472 – फर्जी सील बनाने का अपराध
जांच और पुलिस कार्रवाई
क्राइम ब्रांच यूनिट-3 की टीम ने तकनीकी विश्लेषण और गुप्त सूचना के आधार पर 7 जनवरी को तलोजा इलाके से आरोपी को गिरफ्तार किया। डीसीपी अविनाश अंबुरे के नेतृत्व में जांच चल रही है। आरोपी को वसई कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 13 जनवरी तक पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है।
नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह
पुलिस ने इस घटना को बेरोजगार युवाओं को निशाना बनाने वाले संगठित अपराध का हिस्सा बताया है। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी नौकरी के प्रस्ताव की सत्यता की जांच करें और संदेह होने पर तुरंत पुलिस को सूचना दें।
पुलिस अधिकारियों ने क्या कहा, “किसी भी व्यक्ति के फर्जी दस्तावेज और अधिकारियों की पहचान की सत्यता जांचना बेहद जरूरी है। ऐसी ठगी करने वाले गिरोह लगातार सक्रिय हैं। नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को देनी चाहिए।“
गिरफ्तारी से उजागर हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा
इस घटना ने एक बार फिर यह दिखाया है कि बेरोजगारी के नाम पर किस तरह लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। आरोपी रिंकू शर्मा जैसे फर्जी अधिकारी बेरोजगार युवाओं और उनके परिवारों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाते हैं।
यह मामला पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि आरोपी के पास से कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं। पुलिस की मानें तो इस ठगी के पीछे एक संगठित गिरोह हो सकता है, जिसकी जांच जारी है।
पुलिस की अपील:
नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे मांगने वालों से सावधान रहें।
सरकारी नौकरी की सत्यापन प्रक्रिया को समझें।
किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।
ठगी के शिकार हुए अन्य लोग भी आगे आएं
पुलिस ने बताया कि रिंकू शर्मा की गिरफ्तारी के बाद कई अन्य पीड़ितों के सामने आने की उम्मीद है। ऐसे मामलों में अक्सर ठगी के शिकार लोग शर्मिंदगी या डर की वजह से शिकायत दर्ज नहीं कराते, जिससे आरोपी लंबे समय तक सक्रिय रहते हैं।
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि अगर वे भी किसी ऐसे फर्जीवाड़े का शिकार हुए हैं, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
Author: starmazanews
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